पानी- पानी इस दुनिया में ,
हम सब की यही पुकार |
बिन पानी क्या होगा यारो ,
किया कभी तुमने बिचार ||
दो बूंद जिन्दगी की होती ,
खुशियों की अपरम्पार|
दो बूंद ही जीवन में लाती ,
खुशियों की नयी बहार ||
कीमत पानी का समझाना ,
लगता नहीं इतना आसान |
पानी -पानी अनमोल रतन ,
दुनिया में पानी बहुत महान||
पानी को हमने बर्बाद किया ,
पानी को हमने बहा दिया |
पानी को घर की तहरी समझ,
पानी का हमने अपमान किया ||
करते रक्षा जीवन की हम ,
पानी की रक्षा क़र ना सके |
जब पता चला पानी ही नहीं ,
पानी को ढूढने हम निकले||
पानी की महिमा यूँ पूछो ,
रेगिस्तानो औ बंजारों में |
पानी -पानी आमूल्य रतन , पाओगे हर इंसानों में
ओ घहर -घहर, ओ लहर लहर,
दिल में चुभती है रुक -रुक क़र |
तेरी याद रुलाती रह -रह क़र,
ओ -माँ , ओ - माँ ||
तुने ही मुझको जनम दिया,
तुने ही तो मुझे पाला पोसा
तेरा फ़र्ज क्या भूलेगा बेटा ,
नहीं माँ - नहीं माँ | |
तेरी आखों तले मै पला बडा,
तेरी ममता का तो छाव पढा |
तेरे प्यार को पाकर धन्य हुआ,
ओ - माँ ,ओ- माँ ||
जब भी कुछ तुम कहतीं थी,
दिल मेरा दूना होताथा
माँ तेरी ही गोदी में तो,
सो रात बिताया करता था||
तू ही जननी मेरी माता हो,
तू ही मेरे दिल की पुकार
तेरे बिन क्या मै जी पाउँगा,
नहीं माँ नहीं माँ||
तेरी यादो का मै पुलिंदा बाद,
दिन रात बिताया करता हूँ
जब भी यादे आती ,
आखो में आंसु भर लेता हूँ ||
बस याद तुझे ही करता हूँ
ओ - माँ, ओ- माँ
दोस्तों अभी मै कुछ दिनों पहले poem making context में participate किया था जिसमे मुझे कविता लिखने के लिए topic मिला था ' कोयल और कौआ ' और मैंने यही कविता लिखी -
कोयल की तो बात निराली , कौए की दिमाग निराली
कोयल कूँ -कूँ कौवा बोले , कौ -कौ की आवाज जुबानी|
जब कोयल की बात है आती, सुंदर छबि दिल में चुभ जाती
जब आती कौए की बारी, कौ कौ की आवाज खफाती ||
कोयल की तो बात निराली कौए की दिमाग निराली,
कौए दिन बहर घुमा करते ,कोयल सावन में है आती |
पर कूँ कूँ की आवाजो से, सबके दिल को भा जाती,
नाम बणी कोयल की प्यारी, कौए की बात बणी प्यारी |
दोनों है काले कलि, पर जनता क्यों चाहे कोयल सारी ||
कोयल की तो बात निराली कौए की दिमाग निराली,
कोयल कूँ -कूँ कौवा बोले , कौ -कौ की आवाज जुबानी
कुछ बात छिपा इसके अंदर ,कुछ राग छिपा इसके अंदर
जब बाँट रहे थे राग प्रभु ,सो रहा कौआ घर के अंदर
कोयल की तो बात निराली कौए की दिमाग निराली,
कोयल कूँ -कूँ कौवा बोले ,
कौ -कौ की आवाज जुबानी
उन खुशहाली फूलों को ,
बागो में देखा है हमने |
उन रंग बिरंगी तितलियों को ,
पखुणियो पर देखा हमने ||
मुस्कान भरे उन बूंदों को ,
पत्तो पर देखा है हमने |
हमने भी उसको देखा है ,
पर ना जाने क्या सोचा है ||
मै क्या कहता इस बागी दिल को , उसने भी हमको देखा है |
जब भी मै कुछ निरणय लेता ,
सब कुछ मुझको समझाता है ||
जब भी मुझ पर कुछ पणे बिपति ,
धीरे -धीरे समझाता है |
जब भी मै कही पीछे हटता ,
साहस का सृजन करता है||
पर ना जाने कैसे कहता ,
मैंने भी उसको देखा है|
हां दिल मेरा भी यही कहता ,
कि, मैंने भी उसको देखा है ||
दोस्तों आज मै उस बीते हुए Technikon२०१० कि यादो को ताजा करने आया हूँ जो आज आपके अंदर धुंधली होती चली जा रही है | मेरे इन लाइनों को ध्यान से पढना दोस्तों ये आपको उन लगभग सब यादो को फिर से तारो ताजा क़र देंगी, जिन यादो ने उस समय में समां बांध दी थी |.
दोस्तों जितने भी Words green colour में है ना वो सब events के नाम है|
सूरज कि लालिम किरणों ने , नभ को बहुत सजाया है
उन डाली फूलो पत्तो को , फिर उठने को उकसाया है |
technikon २०१० ने तो , सबके दिलो को भाया है ,
इन चार दिनों कि यादो ने , मानो ये सबको बताया है||
मै धन्य कहू उन लोगो को , जिनकी यादो ने हंमे सताया है,
ये सत्य है मेरे यारो -प्यारो , दिल ने ही उने भुलाया है|
जब बात करे पहले दिन की , तो दिल मेरा खुश हो जाता है,
मैलोड़ीका की यादो का पुलिंदा ही पुलिंदा बढ जाता है ||
मै बात करू स्वरसगम तो उससे भी बहुत निराला था ,
सुंदर- सुंदर उस छवि ने तो , सब दिलो को खुश क़र डाला था||
दोस्तों ये उस दिन का last Event था इसके बाद रात्रि हो गई |
तब चंदा ने आह्वान किया रवि ने जाने का प्लान किया
तारो को भी ये काल गई , जग जाओ अब है रात हुई ||
ये बात है यारो दिन दुसरे कि ethical hanking कि वोर्क्शोप हुई
passwerd email id के haking कि अभ्यास हुई |
अब बात हुई सायान Event कि , maime कि तो प्यारी
solo dance और group dance ने सारी बाते कह डाली ||
इसपंदन में Paramanand ने कविता है कह डाली|
कविता कहते ही तालिओं कि झनकारे हुई निराली||
दोस्तों अब अगले ही दिन हमारे यहाँ war of bands का प्रोग्राम होने वाला था जिसने यहाँ(KIT ) आकर धूम मच डाली उनके बारे में कुछ लाइने लिखा है उसे भी नीचे पढ़े
war band कि उन यादो को फिर ताजा करने आया हूँ ,
Zero gravity मर्यादा को हिंदी में कहने आया हूँ|
Ignisia ने Ignite क़र KIT को नचाया था,
Arse ने फ़र्स पर होते हुए भी,सबके दिलो को चुराया था ||
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With regards..
Paramanand gupta
Mechanichal 2nd Year
Kanpur Institute of Technology,Kanpur