Friday, March 11, 2011

होली बसंत में आती है |

होली  बसंत  में  आती है
खुशिया गुलाल बन जाती है ,
हम सब को प्रेम की गंगा में
रंग करके वो चली जाती है,
होली  बसंत  में  आती है |

बिछुरे लोगो को मिलवाकर
खुशिओ का लुप्त उठाती है ,
सबको रंगों में रंग कर के
भाईचारा सिखलाता है ,
होली  बसंत  में  आती है |

है दूर रह रहे लोगो को                   
मिलने की राह  दिखाता है ,
अपने रस मंडल के द्वारा
उनको रसपान  कराती है,
होली  बसंत  में  आती है |

 इश भक्त प्रहलाद की बाते
हमको याद दिलाती है ,
धर्मनिस्ट कर्तब्यानिस्ट
बनने का पाथ पढाती है,  
होली  बसंत  में  आती है|



 

1 comment:

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत बढ़िया कविता ....शुभकामनायें

थोडा देरी से पहुंचा :(