खुशिया गुलाल बन जाती है ,
हम सब को प्रेम की गंगा में
रंग करके वो चली जाती है,
होली बसंत में आती है |
बिछुरे लोगो को मिलवाकर
खुशिओ का लुप्त उठाती है ,
होली बसंत में आती है |
है दूर रह रहे लोगो को
मिलने की राह दिखाता है ,
अपने रस मंडल के द्वारा
उनको रसपान कराती है,
होली बसंत में आती है |
इश भक्त प्रहलाद की बाते
हमको याद दिलाती है ,
धर्मनिस्ट कर्तब्यानिस्ट
बनने का पाथ पढाती है,
होली बसंत में आती है|
हम सब को प्रेम की गंगा में
रंग करके वो चली जाती है,
होली बसंत में आती है |
बिछुरे लोगो को मिलवाकर
खुशिओ का लुप्त उठाती है ,
सबको रंगों में रंग कर के
भाईचारा सिखलाता है ,होली बसंत में आती है |
है दूर रह रहे लोगो को
मिलने की राह दिखाता है ,
अपने रस मंडल के द्वारा
उनको रसपान कराती है,
होली बसंत में आती है |
इश भक्त प्रहलाद की बाते
हमको याद दिलाती है ,
धर्मनिस्ट कर्तब्यानिस्ट
बनने का पाथ पढाती है,
होली बसंत में आती है|