Thursday, August 25, 2011

अन्ना और हम




जन लोकपाल को संसद में , अब अंतिम रूप दिलाना है
जन -जन के आवाजो को अन्ना के साथ लगाना है |
अन्ना के राहो पर चल कर भ्स्त्राचार  मिटाना है
भ्रष्ट हुए सरकार तंत्र को ,   नैत्तिक  पाठ पढ़ना है || 


राजा कलमानी को जज से मृतुदंड दिलवाना है
मारण कनिमोघी को अब , कालेपानी भिजवाना है |
काले धन को जग से लाकर भारत हमें  बचाना  है
हसन अली जैसे लोगो को फासी हमें दिलाना है ||

Tuesday, May 17, 2011

यादो का सैलाब

१५-५-२०११ की ओ रात , एक दुसरे को फिर से मिलने का आश्वासन  देते सिनिअर्स जो अकेसन था उनके फेरेवेल का   | एक दुसरे से हाथ मिलाना व गले लगना तो शायद आदत सी बन गयी थी | उनकी आँखों  में आंसू और एक दुसरे  से जुदा होने का गम शायद यही बता रहा था कि  -
               हम भूल न पाएंगे तुमको
               हम याद भी आएंगे तुमको |
               यादो कि फुलवारी ले  
              आयेंगे मिलने फिर कल को || 
शुरू में तो सब सामान्य था इसी बीच खुदा को भी ये रुसवाई पसंद नहीं आयी , तो उसने हवा के छोटी सुनामी को भेज दिया | कुर्सियों ने गिर करउनका अभिनन्दन  किया -
            खुदा ने खुद को रोक न पाया
             आँखों   में आंसू बहर आया |
            कुर्सियों ने यु गिर करके
            हमको ये अनुभव करवाया ||
समय का चक्र चलता गया | ९ ,१० अऔर अब तो १०.३० भी हो गया |अब उनको अलग होने का समय आ गया था |ओं लोग बहुत उदास थे , उनके चेहरे उतर चुके थे -
            हम हुए अकेले बिन तेरे
            जीवन कि लम्बी रहो में
            बस यादे रह गयी है उनकी
             प्यार भरे इस  महफ़िल में
                           हे दूर देश के बनवासी 
                           हे सुदूर के पाखीगन
                            मै ये सोच नहीं पाया 
                        ऐसी होगी अपनी बिछुणन
  है बिछुड़ रहे नभ में पतंग 
 है घाट छोड़ नौका के संग 
तुम भूल न जाना हम सब को 
है राह छोड़ जैसे बिहंग    

Friday, March 11, 2011

होली बसंत में आती है |

होली  बसंत  में  आती है
खुशिया गुलाल बन जाती है ,
हम सब को प्रेम की गंगा में
रंग करके वो चली जाती है,
होली  बसंत  में  आती है |

बिछुरे लोगो को मिलवाकर
खुशिओ का लुप्त उठाती है ,
सबको रंगों में रंग कर के
भाईचारा सिखलाता है ,
होली  बसंत  में  आती है |

है दूर रह रहे लोगो को                   
मिलने की राह  दिखाता है ,
अपने रस मंडल के द्वारा
उनको रसपान  कराती है,
होली  बसंत  में  आती है |

 इश भक्त प्रहलाद की बाते
हमको याद दिलाती है ,
धर्मनिस्ट कर्तब्यानिस्ट
बनने का पाथ पढाती है,  
होली  बसंत  में  आती है|



 

Sunday, March 6, 2011

अपनी भारत भूमि को हम , फिर से स्वर्ग बनायेगे

 हम सब  आज  ये प्रण लेते है , भ्रस्टाचार मिटायेंगे
 आने वाली हर बाधा को , हसते - हसते सह जायेंगे , 
 अपने सत्कर्मो के द्वारा  , लोगो को सिखलाएंगे
 उनके अंदर   देशप्रेम की , गंगा हमी बहायेंगे  ,

अपनी भारत भूमि को हम , फिर से स्वर्ग बनायेगे  ||


गाँधी और जवाहर जैसे  , नेता हमी बनायेंगे 
अपने  भारत  की गुरुता को आगे हमी बढायेंगे  ,
लोगो को निर्भीक बनाकर  , आलस दूर भगायेंगे
उनको अपने सत्कर्मो का , तत्वाबोध कराएँगे ,

अपनी भारत भूमि को हम , फिर से स्वर्ग बनायेगे ||

आओ अब वो समय आ गया , हल्दीघाटी की यादो का
अन्यायों से लाधना होगा मेवारमुकुत     बन रहो का  ,
नदियों की तरह मिलना होगा गहराई में जाना होगा
भारत को स्वर्ग बनाने का , सपना तब ही पूरा होगा  ,
नारी को बनना होगा सीता , पुरुसो  को बनना होगा  राम ,
तभी हम ला पाएंगे जग में , सुख शांति ओर  प्रेम अपार  
राम राज्य के उस सपने को साकार तभी कर पाएंगे ,
आने वाली हर पीढ़ी को लव कुश हमी बनायेगे

अपनी भारत भूमि को हम , फिर से स्वर्ग बनायेगे ||