उन खुशहाली फूलों को ,
बागो में देखा है हमने |
उन रंग बिरंगी तितलियों को ,
पखुणियो पर देखा हमने ||
मुस्कान भरे उन बूंदों को ,
पत्तो पर देखा है हमने |
हमने भी उसको देखा है ,
पर ना जाने क्या सोचा है ||
मै क्या कहता इस बागी दिल को , उसने भी हमको देखा है |
जब भी मै कुछ निरणय लेता ,
सब कुछ मुझको समझाता है ||
जब भी मुझ पर कुछ पणे बिपति ,
धीरे -धीरे समझाता है |
जब भी मै कही पीछे हटता ,
साहस का सृजन करता है||
पर ना जाने कैसे कहता ,
मैंने भी उसको देखा है|
हां दिल मेरा भी यही कहता ,
कि, मैंने भी उसको देखा है ||
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